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Monday, November 15, 2010
मेरा जीवन दर्पण
जब अंतर्मन का गाँव मेरा सूना होता है,
तब याद तुम्हारी दीप फुलझड़ी बन जाती है |
जब जीवन रंग हीन सा लगने लगता है,
मुस्कान तुम्हारी होली गुझिया बन जाती है |
तुम सिर्फ प्रेमिका नहीं मेरा जीवन दर्पण हो,
तुम पत्नी, पूरक, श्रद्धा और जीवन दर्शन हो |
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